आज़ाद के जन्मदिन पर
ऐसी कलम नहीं मेरी के
तुझपे कुछ लिख जाऊ मैं
नहीं मिलेंगे लफ्ज़ तेरी शान में
चाहे खुद बिक जाऊ मैं
पता नहीं के मंदिर में राम है
पता नहीं कहा बसता रहमान है
गर पता लगा कहा तेरे कदम पड़े थे
वहाँ सजदे में झुक जाऊ मैं
आज अडसठ के साल बाद भी
हिन्द की किस्मत कोरी है
भारत माँ के आँचल का
हर रेशा काकोरी है
कहो आज़ाद माँ पूछ रही है
के कहा से तुमको ढूंढ के लाऊ मैं
ऐसी कलम नहीं मेरी के
तुझपे कुछ लिख जाऊ मैं
अनुराग शर्मा